जयपुर – विश्व सनातन संघ ने इस्लामी आतंकवाद के खिलाफ सशक्त विरोध दर्ज कराते हुए एक स्वर में इसे “इंसानियत का दुश्मन” करार दिया है। संगठन ने स्पष्ट किया कि अब वक्त आ गया है कि दुनिया इस कट्टर सोच के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे।
राष्ट्रीय संरक्षक विष्णु दास महाराज नागा ने कहा कि जब मजहब को राजनीति का ज़रिया बना दिया जाए, जब जिहाद के नाम पर मासूमों की लाशें बिछाई जाएं, तो समझ लीजिएइंसानियत खतरे में है। इस्लामी आतंकवाद आज किसी एक देश, एक धर्म या एक समुदाय की समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे विश्व के सीने पर चुभता हुआ नासूर बन चुका है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष चन्द्र भान शर्मा ने कहा कि बम धमाकों में उड़ते हैं सपने, गोलियों से छलनी होते हैं बचपन, और मस्जिदों से उठती हैं बंदूकें—क्यों? क्या इसलिए कि कुछ कट्टरपंथी यह मान बैठे हैं कि उनका धर्म उन्हें हत्यारा बनने की इजाजत देता है? यह सोच इंसानियत के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
राष्ट्रीय महासचिव डॉ. राकेश वशिष्ठ ने कहा कि इन आतंकियों का मकसद सिर्फ खौफ फैलाना नहीं, बल्कि सभ्यताओं को मिटाना है। अफगानिस्तान के स्कूलों से लेकर भारत में हुए पुलवामा हमले तक, हर आतंकी घटना एक ही संदेश देती है जो हमारे जैसे नहीं, वो जिंदा नहीं रहना चाहिए।
उत्तराखंड प्रभारी वेणीराम उनियाल व प्रदेश अध्यक्ष रमेश कोठियाल ने कहा कि भारत वर्षों से इस ज़हरीली सोच का शिकार रहा है। लेकिन अब सवाल यह है—क्या हम सिर्फ मोमबत्तियाँ जलाते रहेंगे? क्या हर हमले के बाद श्रद्धांजलि और निंदा ही हमारी नीति बनकर रह जाएगी?
राष्ट्रीय सलाहकार जे. पी. शर्मा ने स्पष्ट किया कि अब वक्त आ गया है कि इन आतंक के सौदागरों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाए। मजहब की आड़ में जो खंजर चलाते हैं, उन्हें हर मंच से बहिष्कृत किया जाए।
उन्होंने कहा—”हम जानते हैं कि हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता, लेकिन जब आतंकवाद इस्लाम के नाम पर हो, तब पूरी दुनिया को एकजुट होकर कहना होगा तुम अल्लाह का नाम लेकर अल्लाह को ही बदनाम कर रहे हो।
विश्व सनातन संघ ने केंद्र सरकार से मांग की है कि अब पाकिस्तान के साथ किसी प्रकार की कोताही न बरती जाए। भारत में रह रहे सभी पाकिस्तानियों को चिन्हित कर वापस भेजा जाए।
अब निंदा नहीं, निर्णायक कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि हमारी अगली पीढ़ी आतंक के साए में जीने को मजबूर न हो।