देश के अन्य हिस्सों में दीपावली पर्व 31 अक्टूबर जबकि उत्तराखंड में 1 नवंबर को मनाना शास्त्र सम्मत: डॉ घिल्डियाल ।
देहरादून । दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर 2024 को है ?अथवा 1 नवंबर 2024 को है ? *इस विषय पर देश के विद्वानों में सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस के बीच उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” का बहु प्रतीक्षित निर्णायक बयान आया है । उन्होंने कहा है कि पर्व निर्णय़ घर्मशास्त्र का विषय़ है , औऱ कालगणना करना ज्योतिष का विषय है । सूर्योदय और सूर्यास्त में देशान्तर के कारण भारत में ही एक घन्टे से / 30 / 40 /50 मिनटों तक का भी अन्तर आ जाता है । भारत के विभिन्न नगरों का अक्षान्तर देशान्तर अलग अलग होने के कारण पर्व निर्णयों में भी समानता नहीं हो पाती है।* स्वदेशी पंचांग गणना के आधार पर ही पर्वनिर्णय मान्य होता है ।
सौर वैज्ञानिक डॉक्टर दैवज्ञ ने स्पष्ट किया है ,कि काशी विद्वत परिषद ने स्थानीयकाल की गणना कर शास्त्र प्रमाण के आधार पर 31 अक्टूबर को दीपावली करने का निर्णय दिया है। अन्य प्रदेशों के विद्वत परिषदों ने भी स्थान काल गणना के आधार पर किसी ने 31 अक्टूबर 2024 तो किसी ने 1 नवम्बर 2024 को दीपावली मनाने का निर्णय दिया है।*
सटीक भविष्यवाणियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात आचार्य चंडी प्रसाद दैवज्ञ का कहना है ,कि उत्तराखंड़ /गढ़वाल मंडल के सभी पंचांग अक्षांस 28-30 से 29-30 उत्तर के मान के आधार पर ही बनते हैं , रेलवे टाइम से 10 मिनट से अधिकतम 18 मिनट का ही अन्तर होता है इसलिए यहां सभी पर्व एक ही दिन एक ही समय में मनाए जाते हैं ।
सम्बत 2081 सन् २०२४ को कार्तिक कृष्ण अमावास्या दि० 31अक्टुबर /1नवम्बर दोनों दिन है ,अब प्रश्न उठा कब मनायें ? धर्मशास्त्र, निर्णयसिन्धु निर्णयानुसार महालक्ष्मीपूजन दीपोत्सव प्रदोष काल या नीशीथकाल में अमावास्या होने पर ही हो सकता है । इस वर्ष दोनों दिन प्रदोष काल में अमावास्या आ रही है इसलिए विद्वानों का कर्तब्य है समाज को सही मार्ग दर्शन करे ।
*निर्णय*
वाणीभूषण पंचांग एवं महीधर पंचांगानुसार 1 नवम्बर 2024 को सूर्योदय से उदया कार्तिक दर्श अमावास्या 29घटी 16 पल तक है , सूर्यास्त के पश्चात भी 52 मिनट तक है , अर्थात् प्रदोष काल में विद्यमान है । उदयातिथि को धर्म शास्त्रों ने पुण्य दायी होने से अधिक महत्व दिया है।
*प्रदोषो$स्तमयादूर्ध्वं घटिकाद्वयमिष्यते। अर्थात सूर्यास्त के पश्चात दो घटी तक जो तिथि हो तो वह प्रदोष व्यापिनी तिथि कही गयी है। धर्मसिन्धु के अनुसार दोनों दिन प्रदोष में अमावस्या हो तो परा लेने का निर्णय किया गया है *”अस्तोत्तरंघटिकाधिकरात्रीव्यापिनी दर्शे सति न सन्देह ” अर्थात सूर्यास्त के बाद 1 घटी भी दर्श अमावस्या हो तो सन्देह नहीं करना चाहिए। अर्थात उसी दिन पर्व मनाना चाहिए । सभी शास्त्रोंके वचनों पर गहनता से विचार करने के पश्चात निर्णयसिन्धु मतानुसार उत्तराखंड प्रदेश अर्थात गढ़वाल, कुमाऊँ क्षेत्र में 1 नवम्बर 2024 को 6बजकर 16 मिनट तक दीपोत्सव लक्ष्मीपूजन करना श्रेयष्कर रहेगा। महा निशीथ काल में पूजा के पक्षधर या उस समय पूजा करने वालों को 31अक्टूबर 2024 का दिन श्रेयष्कर है। अत: *ग्राम वचनं यथा कुर्यु:* अर्थात् अपने कुल ग्राम देश की परम्परानुसार ही पर्व त्योहारों को मनाना चाहिए ।
*उत्तराखंड ज्योतिष रत्न ने स्पष्ट निर्णय दिया है, कि उत्तराखंड में छोटी वग्वाल 31 अक्टूबर गुरूवार १५ गते कार्तिक स०२०८१। बड़ी वग्वाल अर्थात मुख्य दीपावली 1 नवम्बर 2024। १६ गते कार्तिक शुक्रवार स० २०८१ को ही मनाया जाना शास्त्र सम्मत है।।*
*इस प्रकार रहेगा दीप त्योहारों का क्रम*
दि० 29 अक्टूबर 2024 धनतेरस एवं यमदीप ।
30 अक्टूबर 2024हनुमान जयन्ति / नरक चतुर्दशी।
31 अक्टूबर 2024 छोटी दीपावली एवं निशीथ काल पूजन।
1 नवंबर 2024 बड़ी दीपावली अर्थात लक्ष्मी पूजन।
दि० 2 नवंबर 2024 गोवर्धन एवं बलिराज पूजा ।
दि 3 नवंबर 2024 भैयादूज ।।