शत प्रतिशत सच साबित हो रही हैं उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल दैवज्ञ की भविष्यवाणियां।

 

देहरादून । उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” की भविष्यवाणियां वह चाहे राजनीति के संबंध में हों अथवा प्राकृतिक आपदा के संबंध में हो एकदम शत प्रतिशत सच साबित हो रही है।

 

*इस संबंध में यदि हम उनके बयानों पर एक दृष्टि डालें तो उन्होंने अंग्रेजी नव वर्ष 2025 के शुरू होने से पहले जारी बयान में कहा था कि इस नए वर्ष के शुरुआती महीने फरवरी में सौरमंडल में सात नवग्रह एक सीध में आ जाएंगे, और इससे जहां एक तरफ भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं तो दूसरी तरफ सत्ता परिवर्तन तथा महत्वपूर्ण पदों पर बैठे लोगों की गलत बयान बाजी से राजनीतिक और सामाजिक तूफान खड़े हो सकते हैं।*

 

और वास्तव में देखा जाए तो तत्काल उत्तरकाशी तथा दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस हुए, दिल्ली में 27 वर्ष बाद सत्ता का तख्ता पलट हुआ और भारतीय जनता पार्टी को सत्ता मिली उन्होंने यह भी कहा था कि इससे कोई अर्श पर होगा तो कोई फर्श पर तो निश्चित रूप से जहां दिल्ली में बड़े-बड़े राजनीतिक सूरमाओं को धूल चटाते हुए साधारण कार्यकर्ता रेखा गुप्ता मुख्यमंत्री पद पर पहुंच गई तो दूसरी तरफ उत्तराखंड में निकाय चुनावों में साधारण निर्दलीय लोगों को बड़ी सफलता मिल गयी।*

 

इन तमाम बातों के बीच डॉक्टर दैवज्ञ से संपर्क किया गया तो उनका कहना था कि जो कुछ भी घटित होता है, वह सब सौरमंडल में ग्रहों की स्थिति से होता है, इसलिए वर्तमान समय 30 सितंबर 2025 तक ग्रह नक्षत्रों के हिसाब से बहुत संवेदनशील चल रहा है, ऊंचे पदों पर बैठे लोगों को शांत और संभल कर चलना होगा, विनम्र और धार्मिक लोग ऊंचे पद प्राप्त करेंगे तो अहंकारी और धर्म भ्रष्ट लोगों की पदों से छुट्टी होकर अक्ल ठिकाने आ सकती है।*

 

*बहरहाल विधानसभा के बजट सत्र में विधायकों के बीच अचानक हुई अनर्गल बयान बाजी से पूरे राज्य को हो रहे नुकसान को देखते हुए सोशल मीडिया पर लोगों की बरसों पुरानी यह मांग फिर उठने लगी है, कि सरकार को डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” के ज्ञान को देखते हुए उन्हें राजगुरु की जिम्मेदारी देनी चाहिए जिससे वह पूर्ण जिम्मेदारी से राज्य का ज्योतिषीय मार्गदर्शन कर सके।*

स्मरणीय है कि राज्य की पहली निर्वाचित सरकार में मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी ने किसी आचार्य को व्यक्तिगत नहीं पूर्ण रूप से राजगुरु के रूप में रखा था, और इसका परिणाम यह रहा कि वही एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने 5 साल का कार्यकाल पूरा किया।

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